१ जनवरी २००६ का दिन था मेरे मन में अजब सी खुशी थी ना जाने क्यों फ़िर भी ऐसा लग रहा था की कुछ होने को है, मैं काफी दिनों से उसे चाहता था पर मेरे मन में एक बात कौंधते रहती थी क्या वो तो किसी से प्यार नही करती है अगर मैं पहले इजहार करू तो वो बुरा मानजाएगी | ऐसे करते करते मैंने कभी भी अपने प्यार का इजहार नही किया फ़िर भी कुछ तो बात थी उसे जो सबसे अलग थी, आज नया साल था और सभी लोग एक दुसरे को बधाई दे रहे थे कोई ग्रीटिंग्स दे रहा था तो कोई गुलाब का फुल मेरे दोस्तों ने भी काफी लड़कियों को ग्रीटिंग्स दिए पर मैंने नही, मेरे मन में तो बस एक बात ही थी हो न हो आज वो जरुर मेरे घर आएगी और नए साल की बधाई देगी, पूरा दिन उसके इंतिजार में बीत गया लेकिन वो नही आई जब शाम को मैं और मेरे दोस्त बैठे थे की वो और उसकी सहेली मेरे पड़ोस के घर में अपनी सहाले की घर आई और उसके बाद मेरे पास अपनी सहेली के साथ ग्रीटिंग्स देने के लिए आई लेकिन ये क्या ग्रीटिंग्स उसे देने के बजाय उसकी सहेली मुझे ग्रीटिंग्स दे रही है फ़िर मैंने सोचा की ये क्या ग्रीटिंग्स तो उसे मुझे देना था उसकी सहेली मुझे क्यों ग्रीटिंग्स दे रही है .........................
3 टिप्पणियाँ:
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
khub likhe accha like
kahani ke agle bhag ki pratiksha rahegi. Swagat mere blog par bhi.
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’
एक टिप्पणी भेजें