प्‍यार झूठा सही ........

on रविवार, 6 सितंबर 2009




बात उस समय की है जब मैं स्‍कूल में पढता था. मै अपनी कक्षा में प्रथम आता था और वो मेरे बाद यानि द्वितीय स्‍थान पर आती थी. मै तो उससे मन मन चाहने लगा था. लेकिन शायद वो मुझे चाहती थी की नहीं ये मुझे नहीं पता लेकिन जब भी वो क्‍लास में आती तो सबसे पहले मुझे जरूर देखती थी. चुकि हमारा स्‍कूल छोटा था एक ही कमरे में लडके और लडकी दोनों बैठते थे. कभी वो स्‍कूल पहले पहुंच जाती थी तो कभी मैं हां लेकिन जब भी मैं स्‍कुल लेट से पहुंचता तो गेट पर पहुंचने के बाद सबसे पहले उसे देखता था. और ये सिलसिला चलता रहता. स्‍कूल छोटा होने के कारण कभी कभी टिचर्स भी नहीं आते थे. हम सब बच्‍चें मिलकर खेल कुद करने लगते थे. लेकिन वो हमारे खेल में शामिल नहीं होती थी. उसकी सहेली और वो हमलोग से यानि लडके से काफी दूर रहा करती थी. लेकिन जैसे जैसे हम आगे कक्षा में बढते गये हमलोगो में मित्रता बढती गई पूरा क्‍लास एक साथ खेलते थे. हमारी क्‍लास टीचर शनिवार को अंतिम घंटी में अंताक्षरी खिलाती थी. जिसमें एक ग्रुप लडके और एक ग्रुप लडकी की होती थी. ऐसी भी शनिवार को हमारा स्‍कूल आधे दिन ही चलता था अंताक्षरी खेलते समय कभी कभी मेरे गाने के बाद वो गाने लगती तो सारा क्‍लास हल्‍ला करने लगता. धीरे धीरे हमारी और उसमें काफी दोस्‍ती हो गयी हम दोनों एक ही मोहल्‍ले में रहते थे. जब कभी भी हमें होमवर्क मिलता तो कभी मैं उसकी कॉपी लेकर आ जाता तो वो कभी मेरी कॉपी लेकर चली जाती थी. कॉपी और किताबों का लेने देने का सिलसिला तो चलता ही रहा. एक दिन मैं कई दिनों से स्‍कूल नहीं गया. मेरे दोस्‍त मेंरे घर आये उसमें कई लडकियां भी थी मैने सोचा वो भी होगी लेकिन नहीं वो मेरे घर नहीं आयी मैं काफी उदास हो गया. फिर मैंने उससे बात करनी छोड दी एक दिन उसकी सहेलियां पुछने लगी क्‍या बात है तुम उससे बात क्‍यों नहीं कर रहे हो तो मैने कहा बस ऐसे ही. शायद वो समझ गयी थी कि घर ना आने के कारण से नाराज हुं उस दिन ड्राइंग की क्‍लास थी सबकों ड्राइंग बनाने के लिए कह कर हमारी टिचर दूसरे क्‍लास में चली गई मैं ड्राइंग भी काफी अच्‍छा करता था कुछ लडकियों ने मुझे अपनी कॉपी दी और कहने लगी की तुम मेरी कॉपी में भी ड्राइंग बना दो एक एक कर मैने सभी की कॉपी में ड्राइंग बनाने लगा तभी मुझे उसमें से एक कॉपी उसकी लगी मैने उसकी कॉपी में खराब सा एक ड्राइंग बना कर दे दिया. बाद में जब मैने सभी की कॉपी वापस की तो वो कहने लगी की ये कैसा ड्राइंग बनाये हो मैने बोला सॉरी मुझे पता नहीं था कि ये आपका कॉपी था फिर मैने दुबारा कॉपी देने को कहा और बोला एक अच्‍छी से ड्राइंग मैं बना कर देता हूं. शायद ये मेरा प्‍यार था कि और कुछ लेकिन दोस्‍तो आज भी वो मुझे नहीं चाहती है आज उसकी शादी हो गयी है और मैं आज भी उससे नहीं कह सका की मैं तुमसे प्‍यार करता हूं .

2 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

beeti jahi bishar de..
aage ke sudhi liy...
Ab kahane se koi fayada nahi....
bus apne-apne jagah khush raho or khub likhte raho......

Rahul Singh ने कहा…

आपने पढ़ी होगी तो दुहरा लें अन्‍यथा पहले-पहल का रोमांच महसूस करें - धर्मवीर भारती की गुनाहों का देवता और इसके तुरंत बाद मनोहर श्‍याम जोशी की कसप. प्रांफाइल में आयु 20 वर्ष देखकर सुझाव नहीं समझाइश जैसी टिप्‍पणी लिख रहा हूं. आपके लिए उपयोगी न हो तो दूसरों के काम जरूर आएगी.

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